सिमटी साधारड. सी एक लड.की
चारो ओर एक दिवार बनाए
गुम सी नज़र आती
बेखबर सी
ना कोई गुल ना गुल्फ़ाम
ना कदर ना कदरदान
फ़िर भी गुलजार सी
एक लड्की
फिर एक दिन
जिन्दगी का ताना बाना
बिनने आया गुलफाम
गुमसुम सी रह गयी लड.की
करा उसका इन्त्जार
बेखबर सी एक लड.की
उम्मीदो के सागर सी एक लड.की
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